Short Essay on 'Acharya Keshavdas' in Hindi | 'Keshavdas' par Nibandh (170 Words)


आचार्य केशवदास

'केशवदास' का जन्म सन 1555 ई० में मध्य भारत के ओरछा राज्य में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० काशी नाथ मिश्र था। ये सनाढ्य ब्राह्मण थे। संस्कृत भाषा और ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान पूर्वज होने के कारण ही केशव दास को अपने परिवार तथा कुल का बड़ा अभिमान था।

केशवदास को ओरछा राज्य में राजाश्रय प्राप्त था। ये दरबारी कवि थे। इन्होने 'वीरसिंह देव चरित' तथा 'जहांगीर जस चन्द्रिका' नामक ग्रंथों की रचना की। 'रामचन्द्रिका' इनका सर्व प्रसिद्द ग्रन्थ है। इसके अतिरिक्त 'कविप्रिया', 'रसिक प्रिया', 'रतन बावनी', 'विज्ञान गीता' तथा 'नख शिख' इनके प्रसिद्द ग्रन्थ हैं। सन 1617 ई० में इनका स्वर्गवास हुआ।

केशवदास रीतिकाल के प्रवर्तक कवि थे। ये रामभक्ति शाखा के कवि भी माने जाते हैं। उनका राम चन्द्रिका ग्रन्थ उनकी रामभक्ति का स्पष्ट प्रमाण है। केशव साहित्य शास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित थे। उनका हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान है। उनको हिंदी साहित्य का प्रथम आचार्य माना जाता है। केशव अपनी भाषा की परिपुष्टता के लिए सदैव प्रशंसनीय रहेंगे।  


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