Short Essay on 'Dr. Nagendra' in Hindi | 'Dr. Nagendra' par Nibandh (235 Words)


डॉ० नगेन्द्र

'डॉ० नगेन्द्र' का जन्म 9 मार्च 1915 को अलीगढ़ के अतरौली नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम पं० राजेंद्र जी था जो एक आर्य समाजी नेता एवं लेखक थे। पैतृक व्यवसाय जमींदारी था।

डॉ० नगेन्द्र ने आगरा विश्वविद्यालय तथा नागपुर विश्वविद्यालय से एम०ए० (अंग्रेजी, हिन्दी) की परीक्षा उत्तीर्ण की। आगरा विश्वविद्यालय से इन्होने वर्ष 1947 में डी०लिट्० की उपाधि प्राप्त की।

प्रारम्भ में डॉ० नगेन्द्र दिल्ली के रामजस कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में अंग्रेजी के प्राध्यापक नियुक्त हुए। तत्पश्चात वे आकाश-वाणी के हिन्दी समाचार विभाग के निरीक्षक तथा इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए। डॉ० नगेन्द्र का देहांत 27 अक्टूबर 1999 को नई दिल्ली में हुआ।

डॉ० नगेन्द्र प्रायः सभी प्रकार की विशिष्ट हिन्दी संस्थाओं एवं भारत सरकार की हिन्दी समितियों के परामर्श दाता रहे। उन्हें डालमिया पुरस्कार, उ०प्र० हिन्दी समिति पुरस्कार, मध्य प्रदेश हिन्दी परिषद् पुरस्कार तथा दिल्ली साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किये गए। वे केंद्रीय हिन्दी निदेशालय के सम्मानित परामर्श दाता भी रहे।

डॉ० नगेन्द्र की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं:
काव्य ग्रन्थ-- 'बनमाला', 'छन्दमयी'।
आलोचनात्मक ग्रन्थ-- 'रीति काव्य की भूमिका', 'देव और उसकी कविता', 'विचार और सहानुभूति', 'विचार और विवेचन', 'साकेत एक अध्ययन' आदि।
यात्रा संस्मरण-- 'अप्रवासी की यात्राएं'।

डॉ० नगेन्द्र उच्च कोटि के आलोचक एवं निबंधकार थे। उनकी विवेचना तर्क पर आधारित होती थी। हिन्दी सेवा एवं साहित्य साधना के लिए डॉ० नगेन्द्र को सदैव याद किया जायेगा।

 
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