'राणा सांगा' मेवाड़ के राजा थे। लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व वह मेवाड़ पर राज्य करते थे। उनके शासनकाल में मेवाड़ अपने गौरव के शिखर पर पहुँच गया था। वे अपने शूरवीरता के कार्यों के लिए प्रख्यात थे।
राणा सांगा ने दिल्ली और मालवा के नरेशों के साथ अठारह युद्ध किये। इनमे से दो युद्ध दिल्ली के शक्तिशाली सुल्तान इब्राहीम लोदी के साथ लड़े गए। कहा जाता था कि मालवा के सुल्तान मुजफ्फर खान को युद्ध में कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी राजधानी ऐसी मजबूत थी कि वह दुर्भेद्य थी। परन्तु पराक्रमी राणा सांगा ने केवल उसके दुर्ग पर ही अधिकार न किया किन्तु सुल्तान मुजफ्फर खान को बंदी बनाकर मेवाड़ ले आया। फिर उसने सेनापति अली से रणथम्भोर के सुदृढ़ दुर्ग को छीन लिया।
अंत में राजा क़ी मुठभेड़ बाबर से हुई जो फरगना का सुल्तान था और देश विजय करके काबुल का बादशाह बन गया था। बाबर राणा से कम शूरवीर और युद्ध-कुशल न था। दोनों में सीकरी नमक स्थान पर घोर युद्ध हुआ। राणा सांगा क़ी हार हुई। इसके बाद राणा सांगा को उसी के मंत्री ने विष देकर मार डाला। उसके शरीर पर अठारह घावों के निशान थे। युद्ध में उसकी एक आँख जाती रही थी और एक हाथ कट गया था।
2 Comments
Is story me bahut si jankari galat hai. Pls correct it
ReplyDelete84 ghav the bhai
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