Short Essay on 'Id-ul-Zuha' in Hindi | 'Bakrid' par Nibandh ( 219 Words)


बकरीद

'बकरीद' मुसलमानों का एक प्रसिद्द त्यौहार है। इसे 'ईद-उल-ज़ुहा' अथवा 'ईद-उल-अज़हा' के नाम से भी जानते हैं। यह बलिदान का पर्व है। यह हर साल मुस्लिम माह जुल-हिज्जा के दसवें दिन मनाया जाता है।

माना जाता है कि पैगंबर हज़रत इब्राहीम को ईश्वर की ओर से हुक्म आया कि वह अपनी सबसे अधिक प्यारी वस्तु की कुर्बानी दे। हज़रत के लिए उनका बेटा सबसे अधिक प्यारा था। ईश्वर का हुक्म उनके लिए पत्थर की लकीर था। वह उसे मानने के लिए तैयार थे। कुर्बानी से पहले उन्होंने इस विषय पर बेटे से बात की। बेटे ने पिता के फैसले को सही बताया और हँसते-हँसते कुर्बान हो गया। पिता और बेटे की भक्ति देखकर ईश्वर प्रसन्न हुए और उन्होंने हज़रत के बेटे को जीवनदान दिया। तबसे लेकर आज तक इसे मनाया जाता है।

बकरीद की तैयारी त्यौहार के कई दिनों पहले से आरम्भ हो जाती है। परिवार के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े खरीदे जाते हैं। इस त्यौहार में बकरे की बलि देने का विधान है। अतः बकरे खरीदे जाते हैं। बकरे की कुर्बानी के बाद उसके गोश्त को तीन भागों में विभक्त किया जाता है। इसका एक भाग परिवार के लिए, दूसरा भाग संबंधियों के लिए तथा तीसरा भाग गरीबों में बाँटा जाता है। यह त्यौहार दुनिया भर में मुसलमानों के बीच काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है।


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