गांधीवाद
महात्मा गांधी के आदर्शों, विश्वासों एवं दर्शन से उदभूत विचारों के संग्रह को 'गांधीवाद' कहा जाता है। महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बडे राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेताओं में से थे। गांधीवाद उन सभी विचारों का एक समेकित रूप है जो गांधीजी ने जीवन पर्यंत जिया एवं किया था।
गांधीवाद के बुनियादी तत्वों में से सत्य सर्वोपरि है। सत्य ही किसी भी राजनैतिक संस्था, सामाजिक संस्थान इत्यादि की धुरी होनी चाहिए। सत्य, अहिंसा, मानवीय स्वतंत्रता, समानता एवं न्याय पर उनकी निष्ठा को उनकी निजी जिंदगी के उदाहरणों से बखूबी समझा जा सकता है।
गांधीवाद में राजनीतिक और आध्यात्मिक तत्वों का समन्वय मिलता है। यही इस वाद की विशेषता है। आज संसार में जितने भी वाद प्रचलित हैं वह प्रायः राजनीतिक क्षेत्र में सीमित हो चुके हैं। आत्मा से उनका सम्बन्ध-विच्छेद होकर केवल बाह्य संसार तक उनका प्रसार रह गया है।
मन की निर्मलता और ईश्वर-निष्ठां से आत्मा को शुद्ध करना गांधीवाद की प्रथम आवश्यकता है। ऐसा करने से निःस्वार्थ बुद्धि का विकास होता है और मनुष्य सच्चे अर्थों में जन-सेवा के लिए तत्पर हो जाता है। गांधीवाद में सांप्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं है। इसी समस्या को हल करने के लिए गांधी जी ने अपने जीवन का बलिदान दिया था।
0 Comments