कांशीराम जी
'कांशीराम' जी का जन्म 15 मार्च, 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के ख्वासपुर गांव में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम बिशन कौर और हरी सिंह था। उनका जन्म एक दलित (सिख समुदाय के रैदसिया) परिवार में हुआ था।
कांशीराम जी ने स्नातक की डिग्री रोपड़ राजकीय कालेज, पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) में नौकरी प्रारम्भ की। नौकरी के दौरान जातिगत भेदभाव से आहत होकर कांशीराम जी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, ज्योतिबा फुले और पेरियार के दर्शन को गहनता से पढ़कर दलितों को एकजुट करने में जुटे।
कांशीराम एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने राजनितिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की। उन्होंने होशियारपुर संसदीय क्षेत्र से 11 वीं लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें उत्तर प्रदेश में इटावा से लोकसभा के सदस्य के रूप में भी निर्वाचित किया गया था।
एक लेखक के रूप में कांशीराम ने दो पुस्तकें लिखीं: एन एरा ऑफ़ द स्टूजेस (चमचा युग) एवं न्यू होप। पे बैक टू सोसाइटी के सिद्धांत के तहत दलित कर्मचारियों को अपने वेतन का 10वां हिस्सा समाज को लौटाने का आह्वान किया। दलितों की राजनीतिक ताकत तैयार करने में बामसेफ काफी मददगार साबित हुआ।
9 अक्टूबर 2006 को, कांशीराम को नई दिल्ली में एक गंभीर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वे एक भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय वर्ण व्यवस्था में अछूतों और दलितों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए कार्य किया। शोषित समाज की निष्क्रिय रही राजनितिक चेतना को जागृत करने के लिए उन्हें सदैव याद किया जायेगा।
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