Short Essay on 'B.D. Jatti' in Hindi | 'B.D. Jatti' par Nibandh (310 Words)

बी.डी. जत्ती

'बी.डी. जत्ती' का पूरा नाम 'बासप्पा दानप्पा जत्ती' था। उनका जन्म 10 सितम्बर, 1912 को बीजापुर ज़िले के सवालगी ग्राम में हुआ था। मात्र 10 वर्ष की आयु में वर्ष 1922 में इनका विवाह भाभानगर की संगम्मा के साथ सम्पन्न हुआ था।

बासप्पा ने सिद्धेश्वर हाई स्कूल बीजापुर से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्हें फुटबॉल एवं तैराकी के अलावा कुछ भारतीय परम्परागत खेलों में भी रुचि थी। इन्होने कानून की पढ़ाई पूरी की। कानून की उपाधि प्राप्त करने के बाद 1941 से 1945 तक बासप्पा ने जमाखंडी में वकालत की। इस दौरान इनका उद्देश्य ग़रीबों की मदद करना रहा।

1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में बासप्पा ने प्रजा परिषद पार्टी की ओर से प्रतिनिधित्व किया। 1952 में भारतीय गणराज्य का प्रथम आम चुनाव हुआ। इसमें बासप्पा ने काँग्रेस के टिकट पर जमाखंडी सीट से विधायक का चुनाव लड़ा और शानदार अंतर के साथ जीत अर्जित की। सन् 1958 से 1962 तक मैसूर राज्य के मुख्यमंत्री रहे बासप्पा पाॅडिचेरी के उप राज्यपाल तथा ओडिशा के राज्यपाल भी बने।

31 अगस्त 1974 को इन्हें राष्ट्रपति फ़खरुद्दीन अली अहमद ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण कराई। देश के पांचवें राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद का निधन हो जाने के कारण बासप्पा दानप्पा जत्ती को 11 फरवरी 1977 को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। वे देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक रहे। इस दौरान इन्होंने अपना दायित्व संवैधानिक गरिमा के साथ पूर्ण किया।

7 जून 2002 को बी.डी जत्ती का निधन हो गया। जीवन के अंतिम समय में वे बंगलौर में थे। इस प्रकार एक परम्परावादी युग का अंत हो गया, जिससे गाँधी दर्शन भी समाहित था। उन्हें गांधीवादी विचारों के लिए आज भी याद किया जाता है। भले ही वे देश के निर्वाचित राष्ट्रपति नहीं रहे हो लेकिन कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अपने छोटे से कार्यकाल में उन्होंने संवैधानिक जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। 

Post a Comment

0 Comments

Close Menu