'एच.डी. देवगौड़ा' का जन्म 18 मई, 1933 को कर्नाटक के हरदन हल्ली ग्राम में हुआ था। उनका पूरा नाम हरदन हल्ली डोडेगौड़ा देवगौड़ा है। उनके पिता का नाम श्री दोड्डे गौड़ा तथा माता का नाम देवम्या था।
सामान्य मध्यम वर्गीय कृषक परिवार से संबंध एच.डी. देवगौड़ा के व्यक्तित्व पर साफ दिखाई देता है। वह अपने सिद्धांतों और कर्तव्यों के प्रति सचेत रहते थे और किसानों की परेशानियों और उनके परिश्रम का मोल भली-भांति समझते थे। यही कारण रहा कि राजनीति में प्रवेश करते ही उन्होंने किसानों के हितों के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी।
बीस वर्ष की आयु में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने सक्रिय रूप से भारतीय राजनीति में कदम रखा। 1996 में अटल बिहारी वाजपयी जब बहुमत साबित नहीं कर सके तो उन्हें अपने कार्यकाल के तेरहवें दिन ही प्रधानमंत्री का पद त्यागना पड़ा। ऐसी परिस्थितियों में एच.डी. देवगौड़ा ने संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया।
एच.डी. देवगौड़ा में योग्यता या प्रतिभा की कमी नहीं थी, लेकिन हिन्दी भाषी ना होना और 10 माह का छोटा कार्यकाल होने के कारण वह प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर सके। उनका प्रधानमंत्री पद तक का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा, जिसका मुख्य कारण संयुक्त मोर्चा को कॉग्रेस का समर्थन था, जो वह जब चाहे वापस ले सकती थी।
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