भारतीय संस्कृति
'भारतीय संस्कृति' विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी कहा जाता है। जीने की कला हो या विज्ञान और राजनीति का क्षेत्र, भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं, किन्तु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है।
विश्व के सभी क्षेत्रों और धर्मों की अपने रीति-रिवाज़ों, परम्पराओं और परिष्कृत गुणों के साथ अपनी संस्कृति है। भारतीय संस्कृति स्वाभाविक रूप से शुद्ध है जिसमें प्यार, सम्मान, दूसरों की भावनाओं का मान-सम्मान और अहंकाररहित व्यक्तित्व अन्तर्निहित है। भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्त्वों, जीवन मूल्यों और वचन पद्धति में एक ऐसी निरन्तरता रही है, कि आज भी करोड़ों भारतीय स्वयं को उन मूल्यों एवं चिन्तन प्रणाली से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और इससे प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
भौगोलिक दृष्टि से भारत विविधताओं का देश है, फिर भी सांस्कृतिक रूप से एक इकाई के रूप में इसका अस्तित्व प्राचीनकाल से बना हुआ है। भौगोलिक विभिन्नता के अतिरिक्त इस देश में आर्थिक और सामाजिक भिन्नता भी पर्याप्त रूप से विद्यमान है। वस्तुत: इन भिन्नताओं के कारण ही भारत में अनेक सांस्कृतिक उपधाराएँ विकसित होकर पल्लवित और पुष्पित हुई हैं। अनेक विभिन्नताओं के बावजूद भी भारत की पृथक सांस्कृतिक सत्ता रही है।
बड़ों के लिए आदर और श्रद्धा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। बड़े खड़े हैं तो उनके सामने न बैठना, बड़ों के आने पर स्थान छोड़ देना, उनको खाना पहले परोसना जैसी क्रियाएं अपनी दिनचर्या में प्रायः दिखाई देती हैं जो हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। हम देखते हैं कि युवा कभी अपने बुजुर्गों को उनका नाम लेकर सम्बोधन नहीं करते हैं। सभी बड़ों, पवित्र पुरुषों और महिलाओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मान-सम्मान देने के लिए हम उनके चरण स्पर्श करते हैं। छात्र अपने शिक्षक के पैर छूते हैं। मन, शरीर, वाणी, विचार, शब्द और कर्म में शुद्धता हमारे लिए महत्वपूर्ण है। शून्य की अवधारणा और ओम की मौलिक ध्वनि भारत द्वारा ही विश्व को दी गई।
हमें कभी भी कठोर और अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा अपने शरीर को स्वच्छ व स्वस्थ रखना चाहिए। दूसरों को बाएं हाथ से कोई वस्तु देना एक रूप से अपमान माना जाता है। देवी-देवता को चढाने के लिए उठाये फूल को सूंघना नहीं चाहिए। एक सुसंस्कृत भारतीय के लिए बहुत आवश्यक है कि उसके जूते, चप्पल किसी अन्य व्यक्ति को भूलवश छू जाने पर तुरंत माफी मांग ले। इसी प्रकार अनजाने में किसी से टक्कर हो जाने पर भी ऐसा ही करना चाहिए।
इस प्रकार, भारतीय संस्कृति स्थिर एवं अद्वितीय है जिसके संरक्षण की जिम्मेदारी वर्तमान पीढ़ी पर है। इसकी उदारता तथा समन्यवादी गुणों ने अन्य संस्कृतियों को समाहित तो किया है, किन्तु अपने अस्तित्व के मूल को सुरक्षित रखा है। एक राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिल और आत्मा में बसती है। सर्वांगीणता, विशालता, उदारता और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा भारतीय संस्कृति अग्रणी स्थान रखती है।
5 Comments
I think should have posted about unity in the essay
ReplyDeleteYe eassy deep me hon chahiye please
ReplyDeleteIt is very useful for me for preparation of my exam Thanks a lot for posting this site
ReplyDeleteAchi hai
ReplyDeletenice and amazing blog about indian culture.
ReplyDeletehealth right for us