मेरे प्रिय शिक्षक

अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है। प्राचीन काल में गुरु-शिष्य का सम्बन्ध पिता-पुत्र के समान होता था। हमारे देश में वशिष्ठ, विश्वामित्र एवं द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु हुए हैं ।

मैंने कई अच्छे शिक्षकों के अंतर्गत अध्ययन किया है। मैं उन्हें पसंद करता हूँ और उन्हें पूर्ण सम्मान भी देता हूँ। मैंने उन लोगों से बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने मेरे चरित्र पर गहरा प्रभाव डाला है। किन्तु उन सबमें मैंने श्री ए.के. मिश्रा को सबसे ज्यादा पसंद किया। श्री ए.के. मिश्रा मेरे पसंदीदा शिक्षक हैं।


श्री ए.के. मिश्रा हिन्दी के एक शिक्षक हैं। मैं उन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में मानता हूँ। उन्हें अपने विद्यार्थियों से प्यार है और वे अपने विद्यार्थियों का पूर्ण सम्मान करते हैं। विद्यार्थी भी उनका साथ पाकर खुश होते हैं। उनके गुणों ने उन्हें अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। वह सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखते हैं। वह हमेशा स्वच्छ और साफ कपड़े पहनते हैं।

उनका शरीर स्वस्थ एवं सुडौल है। वह कभी बीमार नहीं पड़ते हैं। उनके अच्छे स्वास्थ्य का राज उनके संतुलित आहार में निहित है। वह हमेशा चीजों के उज्ज्वल पक्ष पर ध्यान लगाते हैं। उनका शिष्टाचार मनभावन है। वह अपने विद्यार्थियों के सवाल का सदैव स्वागत करते हैं। अपने विद्यार्थियों के प्रति उनका दृष्टिकोण हमेशा सहानुभूतिपूर्वक होता है।

श्री ए.के. मिश्रा अपने विद्यार्थियों के अच्छे दोस्त और मार्गदर्शक हैं। वह अपने विषय को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। वह अपने शिक्षण कार्य को अत्यधिक रोचक बना देते हैं। हिंदी व्याकरण कई छात्रों के लिए एक सिरदर्द है, लेकिन वह बहुत ही आसान तरीके से उसे सिखाते हैं जिससे पढ़ाई में कमज़ोर बच्चा भी उनकी बात को समझ जाता है।


उनमें अपने कर्तव्य की गहरी समझ है। वह कक्षा में एक मिनट भी वर्बाद नहीं करते हैं। वह अपनी कक्षा में सही अनुशासन बनाए रखने में सक्षम है। वह कॉलेज की सभी गतिविधियों में बहुत रुचि लेते हैं। उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली है। वे बहुत अच्छे लेखक और कवि हैं। वह भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं किन्तु उदार हैं। सभी अध्यापक भी उनका बहुत सम्मान करते हैं। मुझे अपने शिक्षक पर बहुत गर्व है कि मुझे श्री ए.के. मिश्रा जी के सानिध्य में ज्ञान ग्रहण करने को मिला। वे मेरे प्रिय शिक्षक हैं।