Short Essay on 'Rahul Sankrityayan' in Hindi | 'Rahul Sankrityayan' par Nibandh (290 Words)


राहुल सांकृत्यायन

'राहुल सांकृत्यायन' का जन्म सन् 1893 ई० में जिला आजमगढ़ के पन्दहा नामक ग्राम में हुआ था, जो इनके नाना पं० रामशरण पाठक का निवास स्थान था। इनके पिता का नाम पं० गोवर्धन पांडे था जो एक कट्टर धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। वे कनैला ग्राम में रहते थे।

राहुल जी का बचपन का नाम केदार था। संकृति इनका गोत्र था। इसी के आधार पर ये सांकृत्यायन कहलाये। बौद्ध धर्म में आस्था होने पर इन्होने अपना नाम बदलकर महात्मा बुद्ध के पुत्र के नाम पर राहुल रख लिया।

राहुल जी की प्रारंभिक शिक्षा रानी की सराय और फिर निजामाबाद में हुई जहाँ इन्होने उर्दू मिडिल पास किया। इसके बाद इन्होने काशी में उच्च शिक्षा प्राप्त की। यहीं उनमें पाली भाषा के प्रति विशिष्ट अनुराग उत्पन्न हुआ।

ये घुमक्कड़ प्रकृति के व्यक्ति थे। इनके नाना सेना में सिपाही रहे थे। उन्होंने भी राहुल जी को अपने विगत जीवन की कहानियां सुना कर यात्रा प्रेमी बना दिया था। इन्होने अपने जीवन में देश-विदेश की खूब यात्रा की। सन् 1963 ई० में इनका स्वर्गवास हुआ।

राहुल सांकृत्यायन की मुख्य रचनाएं इस प्रकार हैं-- 'वोल्गा से गंगा' (कहानी संग्रह), 'सिंह सेनापति' और 'जय यौधेय' (उपन्यास), 'मेरी जीवन यात्रा' (आत्मकथा), 'दर्शन दिग्दर्शन' (दर्शन), 'विश्व की रूप रेखा' (विज्ञान), 'मध्य एशिया का इतिहास' (इतिहास), 'शसन शब्द कोश', 'राष्ट्र भाषा कोश' और 'तिब्बती हिन्दी कोश' (कोश)। इनकी मुख्य यात्रा रचनाएं इस प्रकार हैं-- 'लंका', 'तिब्बत यात्रा' और 'ईरान और रूस में पच्चीस मास'।

राहुल जी की प्रतिभा बहुमुखी थी। यद्यपि उन्होंने न तो विधिवत अध्ययन किया और न विधिवत लेखन। अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा है कि वे मैट्रिक पास करने से असहमत थे और ग्रेजुएट तो क्या विश्व विद्यालय के चौखटे के भीतर भी कदम नहीं रखा था। तथापि उन्होंने सभी विषयों पर बहुमूल्य ग्रंथों की रचना की।  


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