जयललिता
'जयललिता' का जन्म 24 फरवरी 1948 में मैसूर राज्य (जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है) के मांडया जिले के मेलुरकोट नामक गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम संध्या एवं पिता का नाम जयराम था। जब वह मात्र दो साल की थीं तो उनके पिता का निधन हो गया।
पिता की मृत्यु के पश्चात उनकी मां उन्हें लेकर बंगलौर चली आयीं, जहां उनके माता-पिता रहते थे। बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया। जयललिता की प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई। जब वे स्कूल में ही पढ़ रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया। स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्होंने 1961 में 'एपिसल' नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया।
मात्र 15 वर्ष की आयु में ही जयललिता कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री के रूप में करने लगी। तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म 'वेन्नीरादई' से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अँग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया।
जयललिता ने ने 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एम.जी. रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1983 में उन्हें पार्टी का प्रचार सचिव नियुक्त किया गया। बाद में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए पार्टी प्रमुख रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया। 1984 से 1989 तक वे तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य रहीं।
वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के पश्चात अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई। एक धड़े की नेता एम.जी. रामचंद्रन की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वर्ष 1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27 सीटें जीतीं और वे तामिलनाडु की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं।
24 जून 1991 को जयललिता राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं। 1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई किन्तु 2001 में वे फिर एक बार तमिलनडू की मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं। वर्ष 2011 में वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। वर्ष 2016 में उन्होंने पुनः मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री रहीं। गंभीर दिल का दौरा पड़ने के पश्चात दिनांक 5 दिसंबर 2016 को उनका निधन हो गया।
राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा और कभी कभी पुरातची तलाईवी (क्रांतिकारी नेता) कहकर बुलाते थे। जयललिता के उत्कृष्ट अभिनय हेतु उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनको पहली बार मद्रास विश्वविद्यालय से 1991 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली और उसके बाद उन्हें कई बार मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया।
जयललिता एक ऐसी महिला थीं, जो न केवल राज्य की राजनीति पर छाई रहीं बल्कि भारतीय राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। उन्हें 'लौह महिला' के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'भारतीय राजनीति' के इतिहास में जयललिता का नाम सदैव याद रखा जायेगा।
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