जन नायक कर्पूरी ठाकुर
'कर्पूरी ठाकुर' का जन्म 24 जनवरी 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी देवी था।
कर्पूरी ठाकुर ने भारतीय स्वतंत्नता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जब वे स्नातक के छात्र थे तो उन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी। स्वतंत्नता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें 26 माह तक जेल में बिताना पड़ा।
स्वतंत्रता के बाद उन्होंने अपने गांव के स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य किया। वे बिहार की राजनीति से जुड़े रहे। उन्हें 1952 में बिहार विधान सभा का सदस्य चुना गया। कर्पूरी ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक एवं दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।
कर्पूरी ठाकुर ने अपने विशाल व्यक्तित्व एवं बड़े राजनेता होने का एहसास गरीबों की आवाज बनने में कभी और कहीं भी बाधक नहीं माना। यही कारण रहा कि गरीबों की आवाज को मजबूती प्रदान करने में साधन नहीं, अपने आपको साध्य मानकर आगे बढ़ते गये। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी ही गरीबों, असहायों, वंचितो के नाम कर दी।
उनका देहांत 17 फरवरी 1988 को हुआ। 'जन नायक' के रूप में प्रसिद्द कर्पूरी ठाकुर को उनकी सादगी, ईमानदारी गरीबों के हितैषी के रूप में सदैव याद किया जायेगा।
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