महाशिवरात्रि
'महाशिवरात्रि' हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।
कुछ विद्वानों का मत है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि इस दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय अमृत से पहले समुद्र से निकला था।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन सुबह से ही शिवमंदिर में कतारें लग जाती हैं। लोग जल से तथा दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। जहाँ तक हो सके लोग गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराते हैं। कुछ लोग दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से भी स्नान कराते हैं।
इस दिन भक्तगणों द्वारा शिवलिंग पर चंदन लगाकर भगवान शिव को फूल, बेल के पत्ते अर्पित किये जाते हैं। धूप और दीप से भगवान शिव का पूजन किया जाता है। भगवान शिव को बेल के पत्ते अतिप्रिय है, इसलिए लोग उन्हें बेलपत्र अर्पण करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन भक्तगण व्रत रहकर भगवान शिव का ध्यान करते हैं तथा जल, दूध एवं फूल इत्यादि चढ़ाते हैं। शाम को शिवजी की बारात निकाली जाती है एवं सभी भक्तगण हर्ष व उल्लास के साथ प्रेम भाव से जयकारा करते हैं।
महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण का भी विधान है। लोग शिवमंदिरों में अथवा घरों में पूरी-पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। कई लोग इस दिन शरीर और मन को पवित्र करने के लिए उपवास भी रखते हैं। कुछ लोग निर्जल रहकर भी उपवास करते है।
धार्मिक ग्रंथों में ऐसा विधान है कि भगवान शिव की पूजा करने से सारे सांसारिक मनोरथ पूरे हो जाते हैं। नीति-नियम से न हो सके तो साधारण तरीके से पूजा करने पर या सिर्फ उन्हें स्मरण कर लेने पर भी भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
2 Comments
Nice and beautiful essay
ReplyDeleteVery nice not bad
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