इलाहाबाद
'इलाहाबाद', भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह गंगा और यमुना नदी के संगम पर स्थित है। यह एक प्राचीन नगर है और हिन्दू धर्म के अनुयायियों का बहुत बड़ा तीर्थ स्थान है।
इलाहाबाद न सिर्फ हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, बल्कि आज के भारत को बनाने में भी इसकी अहम भूमिका रही है। पहले प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध इलाहाबाद का वर्णन वेदों के साथ-साथ रामायण और महाभारत में भी मिलता है।
मुगल बादशाह अकबर ने इस शहर का नाम इलाहाबास रखा था, जो बाद में इलाहाबाद के नाम से जाना जाने लगा। मुगलों के राज्य में इस नगर का विशेष महत्त्व था। राजकुमार सलीम यहाँ कुछ दिन रहा था। इलाहाबाद का देखने योग्य स्थान 'खुसरो बाग़' इसी राजकुमार की यादगार है।
इलाहाबाद ही वह जगह है जहां 1885 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की गई थी और 1920 में महात्मा गांधी ने अहिंसा आंदोलन की शुरुआत भी यहीं से की थी। ब्रिटिश शासनकाल में इलाहाबाद पश्चिमोत्तर प्रांत का मुख्यालय हुआ करता था।
वर्तमान में, इलाहाबाद की पहचान हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ केन्द्र के रूप है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के सृजनकार्ता भगवान ब्रह्मा ने इस शहर की पवित्रता को देखते हुए इसका नाम ‘तीर्थ राज’ दिया। यानी सभी तीर्थ स्थलों का राजा।
इलाहबाद में हर वर्ष हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार माघ के माह में और हर बारह वर्ष के बाद महाकुम्भ के अवसर पर लाखों हिन्दू यात्री त्रिवेणी के पवित्र जल में स्नान करते हैं और नगर का गौरव बढ़ाते हैं। इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यहाँ उत्तर प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय भी है जिसकी बेंच लखनऊ में है।
महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू और मुरली मनोहर जोशी जैसे कई विद्वान इलाहाबाद से ही निकले हैं। प्रसिद्द फिल्म अभिनेता और सदी नायक अमिताभ बच्चन की जन्मस्थली भी इलाहाबाद ही है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी इलाहाबाद एक महत्वपूर्ण केन्द्र हैं। यहां का इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का अंग्रेजी भाषा का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की शुरुआत सर विलियम म्योर ने की थी।
पतालपुरी मंदिर, हनुमान मंदिर, बड़े हनुमानजी मंदिर, शिवकोटी महादेव मंदिर, अलोपी देवी मंदिर, कल्याणी देवी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, नागवासुकी मंदिर और बेनीमहादेव मंदिर आदि इलाहाबाद के प्रमुख मंदिर हैं। इलाहाबाद में ब्रिटिश और मुगल काल की कई निशानियां देखी जा सकती है।
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