Short Essay on 'Nain Singh Rawat' in Hindi | 'Nain Singh Rawat' par Nibandh (235 Words)


नैन सिंह रावत

'नैन सिंह रावत' का जन्म 21 अक्टूबर 1830 में वर्तमान उत्तराखंड के जौहर घाटी स्थित मिलम ग्राम में हुआ था। अपनी युवावस्था में वे अपने पिता के साथ तिब्बत गए थे और वहां की भाषा, संस्कृति और परम्पराओं को आत्मसात किया था।

पिता के साथ की गयी यात्रा, एक अन्वेषक के रूप में नैन सिंह रावत के खूब काम आयी। उन्होंने ल्हासा, काठमांडू और तवांग की यात्रा की। वे 2000 क़दमों में एक मील की दूरी तय करते थे और क़दमों की गिनती के लिए मनके की माला का इस्तेमाल करते थे।

अन्वेषक के रूप में नैन सिंह रावत ने पहला दौरा 1855- 57 के बीच किया था। जर्मन लोगों के साथ किये गए इस दौरे में वे मानसरोवर झील गए थे। वहां से आगे उन्होंने लद्दाख यात्रा की। इसके बाद देहरादून के ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिक सर्वे कार्यालय में उन्होंने दो साल का प्रशिक्षण लिया।

नैन सिंह रावत के बारे में कहा जाता है कि उनकी सबसे बड़ी यात्रा 1873- 75 तक के बीच हुई। इसमें उन्होंने अन्वेषकों के दल के साथ लद्दाख के लेह से ल्हासा होते हुए असम तक की यात्रा की थी। उनका देहांत 1 फरवरी 1882 में हुआ।

रावत को रॉयल ज्योग्राफिक सोसाइटी द्वारा सम्मानित किया गया था। वर्ष 2004 में भारत सरकार ने उनकी याद में एक डाक टिकट भी जारी किया था। 19वीं सदी के महान पर्वतारोही और अन्वेषक के रूप में नैन सिंह रावत को सदैव याद किया जायेगा।  


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