कृष्णा सोबती
'कृष्णा सोबती' का जन्म 18 फरवरी 1925 को गुजरात (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद वे दिल्ली में आकर बस गयीं। तब से यहीं रहकर कृष्णा सोबती जी साहित्य की सेवा कर रही हैं।
कृष्णा सोबती ने पचास के दशक से लेखन कार्य आरम्भ किया और उनकी पहली कहानी 'लामा' 1950 में प्रकाशित हुई। वे मुख्यत: उपन्यास, कहानी, संस्मरण विधाओं में लिखती हैं। उनकी प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं-- 'डार से बिछुड़ी', 'ज़िंदगीनामा', 'एे लड़की', 'मित्रो मरजानी', 'हम हशमत भाग एक तथा दो' और 'समय सरगम'।
कृष्णा सोबती विभिन्न सम्मानों से सम्मानित की जा चुकीं हैं जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य शिरोमणि सम्मान, शलाका सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, साहित्य कला परिषद पुरस्कार, कथा चूड़ामणि पुरस्कार, प्रमुख हैं। 1996 में उन्हें साहित्य अकादमी का फेलो बनाया गया जो अकादमी का सर्वोच्च सम्मान है। उन्हें वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा हुई है जो साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान है।
कृष्णा सोबती इतिहास की जीवंत साक्षी हैं। उन्होंने देश के विभाजन से लेकर देश को आज़ाद होने और राष्ट्र के संविधान तक को बनते हुए देखा है। वे तीन पीढ़ियों की गवाह हैं और यह विराट अनुभव उनके हर उपन्यास और कहानियों में झलकता है। उनका लेखन हमेशा वक्त से आगे रहा है। हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती को साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सदैव याद रखा जाएगा।
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