अन्नपूर्णा जयंती
'अन्नपूर्णा जयंती' हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह माता अन्नपूर्णा का जन्मदिवस है। अन्नपूर्णा जयंती, भारतीय संस्कृति में मान्य प्रमुख जयंतियों में से एक है। हिन्दू धर्म में इस जयंती का विशेष महत्त्व है।
ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में एक बार जब पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गयी थी, तब माता पार्वती ने अन्न की देवी, ‘माता अन्नपूर्णा’ के रूप में अवतरित हो पृथ्वी लोक पर अन्न उपलब्ध कराकर समस्त मानव जाति की रक्षा की थी। जिस दिन माता अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, वह मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा थी। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ‘अन्नपूर्णा जयंती’ मनाई जाती है।
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, गैस आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और अन्नपूर्णा देवी की कृपा सदा बनी रहती है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन माता पार्वती के 'अन्नपूर्णा' रूप की पूजा की जाती है। इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्त्व है।
अन्नपूर्णा जयंती, अन्न के महत्त्व का ज्ञान कराती है। यह संदेश देती है कि हमें कभी भी अन्न का निरादर नहीं करना चाहिए और न ही उसे व्यर्थ करना चाहिए। इस दिन लोग अन्न दान करते हैं। अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर जगह-जगह भंडारे का भी आयोजन किया जाता है।
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