बड़े भाई को पत्र- महापुरुषों के जीवन से शिक्षा ग्रहण करने का आश्वासन
भवन संख्या- XXX
इन्दिरा नगर,
लखनऊ
परम स्नेही भ्राता जी,
सादर प्रणाम।
निवेदन यह है कि जब से आप दिल्ली गए हैं, आपने घर पर कोई पत्र नहीं भेजा। मम्मी-पापा भी आपको याद करके काफी परेशान होते हैं। मैं नियमित रूप से स्कूल जा रही हूँ और खूब पढ़ाई कर रही हूँ। आपके द्वारा भेजी गई पुस्तक अमर कहानी बड़ी ही अच्छी और ज्ञानवर्धक लगी है। इस पुस्तक को पढ़कर मैं अवश्य देश पर मर मिटने वाले महापुरुषों के जीवन से कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण करने की कोशिश करुँगी। आशा है आप आगे भी इसी प्रकार की पुस्तकें भेजकर मुझे महापुरुषों की जीवनी से अवगत कराते रहेंगे।
स्नेहमयी भाभी जी को सादर प्रणाम। प्रिय अंशु को प्यार। मम्मी-पापा की ओर से आप तीनों को शुभकामनाएँ और आशीर्वाद।
आपकी स्नेह-पात्री
15 जनवरी, 2018
XXX
1 Comments
Good👌👌
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