आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता)
'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' कंप्यूटर, रोबोट या सॉफ्टवेयर बनाने की एक ऐसी प्रक्रिया है, जो मनुष्य के दिमाग की तरह बौद्धिक रूप से सोच सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं आधारों पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिनके आधार पर मनुष्य का दिमाग काम करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तात्पर्य मशीनों की बुद्धिमत्ता से है। जॉन मैकार्थी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है। उनके अनुसार यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गयी बुद्धिमत्ता है अर्थात उस तरह के कार्य के लिए कंप्यूटर का उपयोग, जो सामान्य रूप से मनुष्य द्वारा किया जाता है।
बिना ड्राईवर की कारें, 3D प्रिंटर्स, इलेक्ट्रिक ड्रोन, रोबोटिक सर्जरी, टिकट वेंडिग मशीन, सेक्यूरिटी गार्ड, रोबोट और गूगल वॉइस टू टेक्स्ट आदि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कुछ ज्वलंत उदाहरण हैं। आज की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सबसे तेजी से विकास कर रहा है । कई विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बड़ी चुनौतियों और संकट की स्थितियों को भी हल कर सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण उपयोग है। कम्पनियाँ त्वरित निदान के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की कोशिश कर रही हैं। व्यापार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से समय और मेहनत में काफी बचत हो सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निश्चित रूप से शिक्षा को अधिक कुशल बना सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सैन्य, कानून, वित्त, मोटर वाहन एवं कला आदि में अत्यधिक कारगर साबित हो सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पिछले कई वर्षों से अत्यधिक चर्चा का विषय रहा है। सम्पूर्ण विश्व के वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। मनुष्य के जीवन को विकास और गति देने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। आज आवश्यकता इस बात की है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से पहले उसके लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यक कदम उठाये जाएँ।
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