खुदीराम बोस
महान क्रांतिकारी 'खुदीराम बोस' का पूरा नाम खुदीराम त्रिलोकनाथ बोस था। उनका जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी नामक गांव में 3 दिसम्बर 1889 को हुआ था। उनकी माता का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी एवं पिता का नाम त्रिलोकनाथ बोस था।
खुदीराम बोस को जन्म से ही जोखिम भरे काम पसंद थे। उनके चेहरे पर अपार साहस छलकता था। 1902-03 में ही उन्होंने आज़ादी के संघर्ष में हिस्सा लेने की ठानी थी। वे उस समय के सबसे छोटे क्रांतिकारी थे, जिनमे ऊर्जा कूट-कूट कर भरी हुई थी।
खुदीराम के मन में देश को आजाद कराने की ऐसी लगन लगी कि नौवीं कक्षा के बाद ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। स्कूल छोड़ने के बाद खुदीराम रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने। 1905 में बंगाल के विभाजन (बंग-भंग) के विरोध में चलाये गये आन्दोलन में उन्होंने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
11 अगस्त 1908 को खुदीराम बोस को फांसी पर चढ़ा दिया गया। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आज़ादी के लिए न्योछावर कर दिया। जब वे शहीद हुए थे तब उनकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। इनकी शहादत से समूचे देश में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी थी।
खुदीराम बोस को आज भी सिर्फ बंगाल में ही नही बल्कि पूरे भारत में याद किया जाता है। उन्हें ‘स्वाधीनता संघर्ष का महानायक’ भी कहा जाता है। निश्चित ही जब-जब भारतीय आज़ादी के संघर्ष की बात की जाएगी तब-तब खुदीराम बोस का नाम गर्व से लिया जायेगा। उन्हें इतिहास में हमेशा एक 'अग्नि पुरुष' के नाम से याद किया जायेगा।
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