Short Essay on 'Pollution' in Hindi | 'Pradushan' par Nibandh (350 Words)


प्रदूषण

'प्रदूषण' का अर्थ होता है- 'वायुमंडल या वातावरण का दूषित होना'। प्रकृति ने मानव की जीवन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाये रखने के लिए, उसे शुद्ध वायु, जल, वनस्पति और भूमि के रूप में अनेक उपहार प्रदान किये हैं। परन्तु हमने अपने भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के लिए इनको दूषित कर दिया है। जिसके परिणामस्वरूप ये प्राणियों और मानव के स्वास्थ्य के लिए अनेक प्रकार से हानिकारक बन गए हैं।

प्रदूषण अनेक प्रकार के हो सकते हैं, जिनमे से चार प्रकार के प्रदूषण प्रमुख हैं:
1. जल प्रदूषण
2. वायु प्रदूषण
3. ध्वनि प्रदूषण
4. भूमि प्रदूषण

जल प्रदूषण आज की विकट समस्या है। कल-कारखानों का रसायन युक्त जल तथा गंदे नालों का जल बाहर निकल कर नदियों के जल को दूषित कर देते हैं। इससे पानी विषाक्त होता है। इसके अतिरिक्त अनेक जल-स्त्रोतों में नहाने, कपडे धोने, मल-मूत्र त्यागने, जानवरों को नहलाने आदि से भी जल प्रदूषण होता है। इसी प्रदूषित जल का प्रयोग जब मनुष्य द्वारा किया जाता है तो उसे क्षति पहुँचती है।

वायु प्रदूषण से मानव के अस्तित्व को बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। कल-कारखानों की चिमनियों, मोटर-गाड़ियों, घरेलू काम आने वाले स्टोव और अन्य जलने वाली वस्तुओं से गैसें निकलती हैं, जो वायु को प्रदूषित करती हैं। वायु प्रदूषण से श्वास सम्बंधित रोग उत्पन्न होते हैं।

यातायात के साधनों में अपार वृद्धि एवं कल-कारखानों की मशीनों की खड़खड़ाहट से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। इसके अतिरिक्त कुछ लोग जोर-जोर से लाउडस्पीकर, डेक एवं डी.जे. इत्यादि बजाकर ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य का जीवन तनावयुक्त बनता जा रहा है।

भूमि प्रदूषण वैज्ञानिक युग की देन है। उपज बढ़ाने लिए भूमि में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को मिलाया जाता है। ऐसी प्रदूषित भूमि से उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न, फल एवं सब्जी आदि सभी प्रदूषित हो जाते हैं। इनके खाने से मानव के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

अंत में निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि आधुनिक युग में प्रदूषण के कारण बढ़ते ही जा रहे हैं। यदि समय रहते इनका निवारण नहीं किया गया तो इनका काफी विस्तार हो जाएगा। प्रदूषण के घातक परिणाम न केवल वर्तमान प्राणियों को बल्कि उसकी भावी पीढ़ियों को भी भुगतने पड़ेंगे।  


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