कंप्यूटर: आज की आवश्यकता
आज का युग विज्ञान का युग है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति लिए सदैव नवीनतम आविष्कार करता आया है। आज मनुष्य समय और श्रम की बचत के साथ शुद्धता भी चाहता है। अत्यंत विकट समस्याओं को भी वह मशीनों द्वारा हल करना चाहता है। मनुष्य की इसी आवश्यकता के फलस्वरूप 'कंप्यूटर' का आविष्कार हुआ।
कंप्यूटर की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कंप्यूटर मानव निर्मित यन्त्र है जिसका काम है अभिकलन व परिकलन करना। यह मनुष्य की अंक सम्बन्धी सूक्ष्म से सूक्ष्म एवं कठिन से कठिन समस्याओं को तुरंत हल कर सकता है। कंप्यूटर ने मनुष्य के जीवन को लगभग सभी क्षेत्रों में प्रभावित किया है। आज के युग को यदि हम कंप्यूटर का युग कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
आज देश के हर क्षेत्र में कंप्यूटर प्रणाली से काम लेने पर ज़ोर दिया जा रहा है। बस, रेलवे और हवाई जहाज का किसी भी शहर का आरक्षण किसी भी शहर से कंप्यूटर द्वारा संभव है। बैंकों के लिए कंप्यूटर सचमुच एक वरदान साबित हुआ है। कंप्यूटर की सहयता से एक मास में बनने वाला तुलन-पत्र मात्र कुछ घंटों में ही तैयार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अंतरिक्ष अनुसंधान, मौसम संबंधी जानकारी, मुद्रण आदि में कंप्यूटर का विशेष योगदान है।
शिक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा, यातायात, संचार आदि सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। कंप्यूटर के माध्यम से पठन-पाठन का स्तर भी अच्छा हुआ है। परीक्षाएं भी ऑन-लाइन होना प्रारम्भ हो गई हैं। प्रबंधन, तकनीक, कानून व रिसर्च में संलग्न विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर एक वरदान सिद्ध हो रहा है। पुस्तकों के प्रकाशन में भी कंप्यूटरों की अनिवार्य भूमिका हो गई है।
कई परीक्षा परिषदों और विश्वविद्यालयों द्वारा अपने परीक्षा परिणामों को तैयार करने में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है। चुनावों के परिणाम, टेलीफ़ोन, बिजली, पानी आदि के बिल, भवन निर्माण के लिए नक्शा तैयार करने में भी कंप्यूटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर का विशेष योगदान है। कंप्यूटर से भेजे जाने वाले ई-मेल तथा इंटरनेट ने तो इस क्षेत्र में सूचना क्रांति ही ला दी है।
हम कह सकते हैं कि कंप्यूटर आज के मनुष्य की एक आवश्यकता है। कंप्यूटर की उपयोगिता निर्विवाद है। आधुनिक युग में कंप्यूटर मनुष्य के जीवन के हर क्षेत्र से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। विज्ञान के इस अद्भुत उपहार को नकराना संभव नहीं है। किन्तु हमें पूर्ण रूप से यंत्रों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें मशीनों का दास नहीं बनना बल्कि उन्हें अपना मित्र बनाना है।
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