Short Essay on 'Kabir Jayanti' in Hindi | 'Kabir Jayanti' par Nibandh (375 Words)


 कबीर जयंती

'कबीर जयंती' सम्पूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। यह संत कबीरदास का जन्म दिवस है। मान्यता है कि कबीरदास जी का जन्म हिन्दू कैलेंडर के अनुसार संवत्‌ 1455 की ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था। ऐसे में कबीर जयंती प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है।

कबीरदास का जन्म काशी में हुआ था। कबीर के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। इनके बारे में प्रचलित है कि नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पति ने इनका पालन-पोषण किया। कबीर की शिक्षा-दीक्षा का अच्छा प्रबंध न हो सका। ये अनपढ ही रहे। ये जुलाहे का काम करते थे परन्तु साथ ही साथ साधु संगति और ईश्वर के भजन चिंतन में भी लगे रहते थे।



कबीरदास ने अपना सारा जीवन ज्ञान देशाटन और साधु संगति से प्राप्त किया। ये पढ़े-लिखे नहीं थे परन्तु दूर-दूर के प्रदेशों की यात्रा कर साधु-संतों की संगति में बैठकर सम्पूर्ण धर्मों तथा समाज का गहरा अध्ययन किया। अपने इस अनुभव को इन्होने मौखिक रूप से कविता में लोगों को सुनाया। कबीर स्वच्छंद विचारक थे। उन्होंने समाज में व्याप्त समस्त रूढ़ियों और आडम्बरों का विरोध किया।

कबीरदास का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब कि हमारे देश में चारों तरफ अशांति और अव्यवस्था का बोलबाला था। विदेशी आक्रमणों से देश की जनता पस्त थी। अनेक धर्म और मत-मतान्तर समाज में प्रचलित थे। आर्थिक दशा बड़ी दयनीय थी। ऐसे कठिन समय में जन्म लेकर इस युग दृष्टा महान संत ने देश की जनता को एक नया ज्ञान का ज्योतिर्मय मार्ग दिखाया।



कबीदास की रचनाओं को उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र तथा शिष्यों ने 'बीजक' के नाम से संग्रहीत किया। इस बीजक के तीन भाग हैं-- (1) सबद (2) साखी (3) रमैनी। बाद में इनकी रचनाओं को 'कबीर ग्रंथावली' के नाम से संग्रहीत किया गया। कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। हिंदी साहित्य जगत में उनका विशिष्ट स्थान है। वे सच्चे अर्थों में समाज सुधारक थे।

संत कबीर की जयंती पूरे देश में धूम-धाम से मनायी जाती है। इस अवसर पर जगह-जगह शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसमें काफी संख्या में श्रद्धालु व संत हिस्सा लेते हैं। कबीर जयंती के अवसर पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्ति के उपासक संत कबीर की जयंती के अवसर पर साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन भी किया जाता है।  


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