Short Article on 'Bad Impact of Television on Society' in Hindi | 'Television ka Samaj par Dushprabhav' par Lekh


टेलीविज़न का समाज पर दुष्प्रभाव

'टेलीविज़न' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। टेली का अर्थ होता है दूर तथा विज़न का अर्थ होता है देखना। इस प्रकार टेलीविज़न वह उपकरण है जिससे दूर घटित होने वाले दृश्य दिखाई पड़ते हैं। टेलीविज़न, मनुष्य को विज्ञान द्वारा दिए गए अनेक उपहारों में से एक है। आज, हर घर में टेलीविज़न जगह ले चुका है और मनोरंजन का सबसे आसान माध्यम बन चुका है।

टेलीविज़न का मनुष्य के सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इससे पड़ने वाला प्रभाव सुखद भी है और दुखद भी। सुखद इसलिए है क्योंकि इसमें दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के द्वारा शिशुओं के पालन-पोषण, परिवार के खान-पान, रहन-सहन और जीवन-शैली में गुणात्मक सुधार हुआ है। व्यक्ति की सोच-समझ का दायरा बढ़ा है। अच्छे-बुरे की पहचान बनी है।

परन्तु, टेलीविज़न ने पारिवारिक जीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाला है। नैतिकता की सीमाओं को तोड़ते हुए ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, जिन्हे परिवार को एक साथ बैठकर देखने में शर्म महसूस होती है। बलात्कार और हिंसा के भयानक दृश्यों वाले कार्यक्रमों से बच्चों का अपरिपक्व मन प्रभावित होता है। आज पारिवारिक जीवन अशांत रहता है और यह सब परिणाम है टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले सीरियलों का।

टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले अधिकांश कार्यक्रम पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित होते हैं। जिससे युवा पीढ़ी लगातार प्रभावित हो रही है। टेलीविज़न के कार्यक्रमों में उलझकर अनेक छात्र पढ़ाई के क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं। टेलीविज़न के कारण ही कई बार कार्य की प्राथमिकता रुक जाती है। इस प्रकार यह सत्यता है कि टेलीविज़न का मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि टेलीविज़न नैतिक और शास्वत जीवन मूल्यों के पतन का आधार बन चुका है। इसमें दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों ने पारिवारिक जीवन को परिवर्तित कर दिया है। नयी पीढ़ी संस्कारों को भूलकर पतन के मार्ग पर चल पड़ी है। परिणामस्वरूप हमारा पारिवारिक जीवन बदल गया और इस बदलाव का बहुत बुरा प्रभाव हमारे पारिवारिक मूल्यों पर पड़ा है।  


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