विश्वकर्मा पूजा
'विश्वकर्मा पूजा' हिन्दुओं का एक प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसका विशेष महत्त्व है। इस दिन को भगवान विश्वकर्मा के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। इसीलिए इसे 'विश्वकर्मा जयंती' के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देवताओ का शिल्पकार माना जाता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने सतयुग में स्वर्ग लोक, त्रेतायुग में लंका, द्वापरयुग में इन्द्रप्रस्थ, द्वारका, हस्तिनापुर का निर्माण किया था जबकि कलियुग में जगन्नाथ पुरी मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी इन्ही के हाथों द्वारा माना जाता है।
विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने घरो, दुकानों, दफ्तरों, कल-कारखानों को अच्छी तरह से साफ-सफाई करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है और विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। पूरे दिन-रात विश्वकर्मा पूजा का कार्यक्रम चलता रहता है और अगले दिन भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति का विसर्जन बहुत ही हर्ष-उल्लास के साथ किया जाता है।
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