लालची कुत्ता
एक बार की बात है कि एक कुत्ता कहीं जा रहा था। रास्ते में उस कुत्ते को एक हड्डी का टुकड़ा मिल गया। हड्डी का टुकड़ा पाकर वह बहुत खुश हुआ और उसे अपने मुँह में दबाकर पास ही एक कोने में बैठ गया। कुत्ता थोड़ी देर तक उस हड्डी के टुकड़े को चूसता रहा और बाद में थका होने के कारण उसकी आँख लग गई।
कुत्ते की थोड़ी देर बाद नींद खुली तो उसे बहुत जोर से प्यास लगी थी। अब वह पानी की तलाश में निकल पड़ा। उसने उस हड्डी के टुकड़े को अपने मुँह में अभी भी दबाया हुआ था। काफी देर पानी की तलाश करने के पश्चात वह एक नदी के किनारे पर पहुँच गया।
कुत्ता पानी पीने के लिए जैसे ही नदी के पानी की ओर झुका, तो उसे नदी के पानी में अपनी छाया दिखाई दी। अपनी छाया देखकर उसने सोंचा कि नदी के अंदर कोई दूसरा कुत्ता है और उसके मुँह में भी हड्डी का टुकड़ा है। कुत्ते के मन में लालच जाग गया।
उस दूसरे कुत्ते की हड्डी के टुकड़े को भी पाने की इच्छा से वह गुस्से में आकर भौंकने लगा। भौंकने के लिए जैसे ही कुत्ते ने मुँह खोला, उसके मुँह का हड्डी का टुकड़ा भी नदी में गिर गया। इस प्रकार लालच में आकर कुत्ते ने अपनी हड्डी का टुकड़ा भी गंवा दिया।
Moral of the Story | शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें लालच नहीं करनी चाहिए क्योंकि लालच का फल बुरा होता है।
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