एक बार की बात है एक तालाब के किनारे कुछ छोटे-छोटे मेढक खेल रहे थे। उसी समय एक बैल वहाँ पानी पीने के लिए आ पहुंचा। उस बैल ने पानी पीकर जोर से डकार ली। बैल के इस प्रकार जोर से डकारने की अवाज को सुनकर सभी मेढक भयभीत हो गये। डर से भयभीत मेढक भागते हुए अपनी दादी माँ के पास पहुँचे।
इस प्रकार भयभीत मेढकों को देखकर दादी माँ ने अपने पोते से पूछा कि क्या हुआ, तुम लोग इतने डरे हुए क्यों हो? छोटे मेढक ने दादी माँ को बताया कि अभी एक बहुत बड़ा सा जानवर तालाब में पानी पीने आया था। उसने पानी पीकर बहुत तेज और भयंकर आवाज निकाली। उसकी आवाज सुनकर हम सब बहुत डर गए।
इस पर दादी माँ ने पूछा कि वह जानवर क्या बहुत बड़ा था, कितना बड़ा था? तब नन्हे मेढक ने जवाब दिया कि वह जानवर तो बहुत ही बड़ा था। तब दादी माँ ने अपने चारो पैर फैलाकर और गाल फुलाकर कहा कि क्या वह इतना बड़ा था? छोटे मेढक ने कहा कि नही दादी वह इससे भी बड़ा था। दादी माँ ने फिर गाल व पेट फुलाकर कहा इससे बड़ा तो नही होगा।
इस पर उस नन्हे मेढक नें जवाब दिया कि अरे नही दादी वह इससे भी बहुत बहुत बड़ा था। अब दादी माँ ने अपने शरीर को और फुलाया। इस प्रकार वह अपने शरीर को फुलाती गईं। लगातार पेट फुलाने के कारण आखिरकार उसका पेट फट गया। पेट के फट जाने से उस नन्हे मेढक की दादी माँ की मृत्यु हो गयी।
Moral of the Story | शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें दिखावे का अभिमान कभी नहीं करना चाहिए, ऐसा अभिमान सदैव विनाश का कारण होता है।
0 Comments