Short Article on 'Pollution: Problem & Solution' in Hindi | 'Pradushan: Samasya aur Samadhan' par Lekh


प्रदूषण- समस्या एवं समाधान

'प्रदूषण' का अर्थ होता है- 'वायुमंडल या वातावरण का दूषित होना'। प्रकृति ने मानव की जीवन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाये रखने के लिए, उसे शुद्ध वायु, जल, वनस्पति और भूमि के रूप में अनेक उपहार प्रदान किये हैं। परन्तु हमने अपने भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के लिए इनको दूषित कर दिया है। जिसके परिणामस्वरूप ये प्राणियों और मानव के स्वास्थ्य के लिए अनेक प्रकार से हानिकारक बन गए हैं।

प्रदूषण अनेक प्रकार के हो सकते हैं, जिनमे से चार प्रकार के प्रदूषण प्रमुख हैं: जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं भूमि प्रदूषण। प्रदूषण की समस्या मात्र हमारे देश में ही नहीं वरन आज सम्पूर्ण विश्व में निर्बाध रूप से बढ़ रही है। इसके भीषण प्रकोप से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
 
बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए नए नगर और उपनगरों को बसाया जा रहा है। जंगलों को काटकर उद्योग धंधों का विस्तार किया जा रहा है। गाँव, शहरों में विलीन होते जा रहे हैं। वृक्षों व वनस्पतियों की कमी से प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है। जगह-जगह जल-धाराओं पर बाँध बना दिए गए हैं।

प्रदूषण के कारण मौसम भी परिवर्तित हो गया है। अत्यधिक मात्रा में ईंधन के जलने से व वृक्षों के कटने से वायुमण्डल में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। स्वच्छ वायु मिलना दुर्लभ हो गया है तथा इससे अनेक नई बीमारियों का जन्म हो गया है।

यदि प्रदूषण की समस्या का निराकरण समय रहते न किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदूषण की समस्या सम्पूर्ण विश्व में मानव जाति को समाप्त कर देगी। इस समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब प्रदूषण फ़ैलाने वाले कारकों को दूर किया जाए। इसके लिए हम सभी को आगे आने की आवश्यकता है।

प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए कल-कारखानों के कचरे को नदियों में बहाने पर कठोर प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है। विषैली गैस, जल-मल एवं रसायन को उत्पन्न करने वाले कारखानों को आबादी से दूर खुले स्थानों पर स्थापित किया जाना चाहिए।

वृक्षारोपण का कार्यक्रम तेजी से बढ़ाया जाना चाहिए। वनों के विनाश पर रोक लगनी चाहिए। वाहनों को प्रदूषण मुक्त बनाना चाहिए। शोर करने वाले यंत्रों और वाहनों पर नियंत्रण लगाया जाना चाहिए। प्रदूषण रोकने वाले यंत्र प्रत्येक उद्योग में लगाना आवश्यक होना चाहिए।

यह अच्छी बात है कि सरकार प्रदूषण के प्रति पहले से अधिक जागरूक हुई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अनेक संस्थाओं ने भी प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए अनेक उपाय किये हैं। किन्तु इतना पर्याप्त नहीं है। प्रकृति को सहज रूप से अपना कार्य करने के लिए हमें और अधिक अवसर देने की आवश्यकता है।  

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