पृथ्वी के धरातल के एक-चौथाई भाग पर भूमि है किंतु उसमें मानव उपयोग की भूमि का क्षेत्रफल काफी कम है। सम्पूर्ण विश्व में जनसंख्या वृद्धि से भूमि उपयोग में विविधता आई है, और उसका गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। इसी के परिणामस्वरूप ‘भूमि प्रदूषण’ की समस्या का जन्म हुआ है।
भूमि प्रदूषण वैज्ञानिक युग की देन है। किसान द्वारा उपज को बढ़ाने के लिए भूमि में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को मिलाया जा रहा है। यह सच है कि इससे फसल तो अधिक प्राप्त होती है किन्तु ऐसी भूमि से उत्पन्न होने वाले खाद्यान्न, फल और सब्जी आदि सभी प्रदूषित हो जाते हैं।
भूमि प्रदूषण के कारण उत्पन्न खाद्यान्न, फल और सब्जी खाने से मानव के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यही विषाक्त पदार्थ जब भोजन के माध्यम से मानव शरीर में पहुँचते हैं तो उसे नाना प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। इनके सेवन से पेट संबंधी अनेक प्रकार के रोग हो जाते हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है कि आधुनिक युग में भूमि प्रदूषण के कारण बढ़ते ही जा रहे हैं। यदि इनका निराकरण समय पर न किया गया तो प्रदूषण का काफी विस्तार हो जायेगा। इसके घातक परिणाम न केवल वर्तमान प्राणियों को अपितु उसकी भावी पीढ़ियों को भी भुगतने पड़ेंगे।
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