Short Article on 'Culture and Civilization' in Hindi | 'Sanskriti aur Sabhayata' par Lekh

संस्कृति और सभ्यता

'संस्कृति' मनुष्य का वह गुण है जिससे वह अपनी भीतरी उन्नति करता है। संस्कृति से मनुष्य दया, माया और परोपकार सीखता है। संस्कृति से मनुष्य गीत, कविता, चित्र और मूर्ति से आनंद लेने की योगयता हासिल करता है। 'सभ्यता' मनुष्य का वह गुण है जिससे वह अपनी बाहरी तरक्की करता है। संस्कृति और सभ्यता यह दोनों दो शब्द हैं और उनके मायने भी अलग-अलग हैं।


आज भी रेलगाड़ी, मोटर और हवाई जहाज, लम्बी-चौड़ी सड़कें, बड़े-बड़े मकान, अच्छा भोजन, अच्छी पोशाक, ये सभी सभ्यता की पहचान हैं। किन्तु, संस्कृति इन सबसे कहीं अलग है। यह कहना कदापि उचित नहीं है कि प्रत्येक सभ्य मनुष्य सुसंस्कृत मनुष्य भी है। संस्कृति धन नहीं गुण है।

संस्कृति वह गुण है जो हममें छिपा हुआ है जबकि सभ्यता वह गुण है जो हमारे पास है। उदाहरण के तौर पर मकान बनाना सभ्यता का काम है, किन्तु हम मकान का कौन सा नक्शा पसंद करते हैं, यह हमारी संस्कृति बतलाती है।


संस्कृति का काम मनुष्य के दोष को कम करना एवं उसके गुण को अधिक बनाना है। संस्कृति का स्वभाव है कि वह आदान-प्रदान से बढ़ती है। वर्त्तमान समय में सभ्यता तो विकसित होती जा रही है किन्तु संस्कृति लुप्त होती जा रही है। इसे पुनर्जीवित एवं विकसित करने की आवश्यकता है। 


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