'बाबू श्याम सुन्दर दास' का जन्म सन 1875 ई० में काशी में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबू देवी दास खन्ना था।
बाबू श्याम सुन्दर दास ने बी०ए० परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कुछ दिनों तक सेंट्रल हिन्दू कॉलेज काशी में अध्यापन कार्य किया। ये छात्रावस्था से ही हिन्दी से विशेष प्रेम रखते थे। इन्होने नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से आजन्म उसकी उन्नति के लिए प्रयत्न किया।
बाबू श्याम सुन्दर दास ने अपना समस्त जीवन हिन्दी भाषा एवं साहित्य की सेवा में लगा दिया। इनकी साहित्य सेवा के कारण ही इनको राय बहादुर, साहित्य वाचस्पति और डी०लिट्० की उपाधियों से विभूषित किया गया। सन 1945 ई० में इनका स्वर्गवास हुआ।
बाबू श्याम सुन्दर दास की प्रमुख मौलिक रचनाएं निम्नलिखित हैं-- 'साहित्यालोचन', 'हिन्दी कोविदमाला', 'रूपक रहस्य', 'भाषा रहस्य', 'भाषा विज्ञानं', 'हिन्दी भाषा और साहित्य', 'गोस्वामी तुलसीदास', 'साहित्यिक लेख', 'मेरी आत्म कहानी' और 'हिन्दी साहित्य निर्माता' आदि। इसके अतिरिक्त इन्होने अनेक ग्रन्थों का सम्पादन किया। इनके सम्पादित ग्रन्थों में 'पृथ्वीराज रासौ', 'हम्मीर रासौ', 'कबीर ग्रन्थावली', 'सतसई सप्तक', 'रानी केतकी की कहानी' आदि प्रमुख हैं।
श्याम सुन्दर दास जी जीवन के पचास वर्षों से अधिक समय तक हिन्दी साहित्य की सेवा में संलग्न रहे। इन्होने हिन्दी के प्रचार एवं समृद्धि के लिए नागरी प्रचारिणी सभा काशी की स्थापना की। हिन्दी को हिन्दू विश्वविद्यालय में उच्च कक्षाओं में प्रविष्ट कराया। हिन्दी जगत में इनकी सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी।
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