'आचार्य रामचन्द्र शुक्ल' का जन्म सन् 1884 ई० में बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता पं० चन्द्रवली शुक्ल सरयूपारीण ब्राह्णण थे। वे सुपरवाइजर कानूनगो थे तथा उर्दू के पक्षपाती थे।
शुक्लजी ने इण्टर तक शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद नौकरी की। फिर उसे छोड़कर अध्यापक बन गए। विद्यार्थी जीवन से ही इन्होने हिन्दी में लिखना आरम्भ कर दिया था।
इनकी योग्यता से प्रभावित होकर नागरी प्रचारिणी सभा काशी ने इन्हें हिन्दी शब्द सागर कोष में काम करने को बुलाया। शुक्लजी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी अध्यापक नियुक्त हुए और पश्चात में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। सन् 1941 ई० में इनका स्वर्गवास हुआ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-- 'चारण विनोद', 'राधाकृष्ण दास', 'चिंतामणि त्रिवेणी', 'सूरदास', 'रस मीमांसा', 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' आदि। इन्होने 'भ्रमर गीतसार', 'भारतेंदु साहित्य', 'तुलसी ग्रन्थावली' और 'जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन किया।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रतिभा बहुमुखी थी। ये उच्च कोटि के निबन्धकार, आलोचक तथा विचारक थे। ये हिन्दी के प्रथम मौलिक आलोचक माने जाते हैं। इनका हिन्दी साहित्य का इतिहास इतिहासों में श्रेष्ठ माना जाता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी के गौरव थे।
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