हमारा देश विविधताओं का देश है। यहाँ वर्ष भर अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं। इनमें से कुछ त्यौहार धार्मिक होते हैं, जैसे- दीपावली, होली, दशहरा, ईद, बकरीद और क्रिसमस आदि। कुछ त्यौहार ऋतुओं के आधार पर मनाये जाते हैं, जैसे- वसंत पंचमी, पोंगल, बैसाखी और लोहड़ी आदि। कुछ त्यौहार समस्त राष्ट्र के सभी लोगों द्वारा मनाये जाते हैं, जिन्हें 'राष्ट्रीय त्यौहार' कहा जाता है, जैसे- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गाँधी जयंती। इसके अतिरिक्त पशुओं को सम्मान देने के लिए भी भारत में त्यौहार मनाये जाते हैं। मेरा आज का निबंध, ऐसे ही त्यौहार 'पोला' से सम्बंधित है।
'पोला' त्यौहार भारत का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अगस्त अथवा सितंबर के महीने में आता है। पोला को 'बैल पोला' भी कहा जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में मनाया जाता है।
प्रचलित कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के जन्म के पश्चात से ही कंस ने उनको मारने लिए कई बार असुरों को भेजा किन्तु हर बार श्रीकृष्ण ने उन असुरों का संहार दिया। एक बार कंस ने उन्हें मारने के लिए पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी श्री कृष्ण ने अपनी लीला से मार कर सबको अचंभित कर दिया था। वह दिन भाद्रपद माह की अमावस्या था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा।
पोला मूलतः खेती-किसानी से जुड़ा त्यौहार है। ऐसे पशु जो किसानों की मदद करते हैं जैसे गाय, बैल इत्यादि, विशेष रूप से बैल को सम्मान देने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। बैल, किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। कहीं-कहीं यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है। बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दूसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है।
पोला त्यौहार के दिन बैलों का श्रृंगार किया जाता है, उन्हें रंग-बिरंगे कपड़े पहनाये जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन बैलों से किसानों द्वारा कोई काम नहीं कराया जाता है। पोला त्यौहार के दिन बैलों की विशेष दौड़ का आयोजन भी किया जाता रहा है, किन्तु अब यह परंपरा लुप्त हो रही है। पोला त्यौहार को मनाने का प्रमुख उद्देश्य पशुओं की पूजा-आराधना एवं उनको धन्यवाद देना है।
पोला त्यौहार
'पोला' त्यौहार भारत का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अगस्त अथवा सितंबर के महीने में आता है। पोला को 'बैल पोला' भी कहा जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में मनाया जाता है।
प्रचलित कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के जन्म के पश्चात से ही कंस ने उनको मारने लिए कई बार असुरों को भेजा किन्तु हर बार श्रीकृष्ण ने उन असुरों का संहार दिया। एक बार कंस ने उन्हें मारने के लिए पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी श्री कृष्ण ने अपनी लीला से मार कर सबको अचंभित कर दिया था। वह दिन भाद्रपद माह की अमावस्या था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा।
पोला मूलतः खेती-किसानी से जुड़ा त्यौहार है। ऐसे पशु जो किसानों की मदद करते हैं जैसे गाय, बैल इत्यादि, विशेष रूप से बैल को सम्मान देने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। बैल, किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। कहीं-कहीं यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है। बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दूसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है।
पोला त्यौहार के दिन बैलों का श्रृंगार किया जाता है, उन्हें रंग-बिरंगे कपड़े पहनाये जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन बैलों से किसानों द्वारा कोई काम नहीं कराया जाता है। पोला त्यौहार के दिन बैलों की विशेष दौड़ का आयोजन भी किया जाता रहा है, किन्तु अब यह परंपरा लुप्त हो रही है। पोला त्यौहार को मनाने का प्रमुख उद्देश्य पशुओं की पूजा-आराधना एवं उनको धन्यवाद देना है।
0 Comments